Monday 16 July 2012

शत-शत नमन हे काशी !

मै  20-9-2010 को दिल्ली सें  काशी में स्थानांतरण होकर आया था । कई मीठी यादों को संजोया जो अब मेरे जीवन का अंग बनकर सदैव मेरे साथ रहेंगी। काशी ने सृजन का खूब समय दिया। काशी की बात ही निराली हैं शायद तभी यहां कबीर दास,रविदास व तुलसी दास  संत और कवि बन पायें । मेरा आशय उन महान पुण्य आत्माओं सें अपनी तुलना करने का कतई नही हैं । ये लोग, भारत या कहूं कि सम्पूर्ण विश्व  के महान व्यक्तित्व थे, मेरे जैसे अनेक   लोगों के वे प्रेरणा-स्रोत अवश्य हैं । हां , इस पवित्र भूमि की प्रशंसा का अवश्य मंतव्य हैं । अब मै यहां से  शीघ्र ही कार्यमुक्त होने वाला हूं,अत: यह रचना इसी मकसद की पूर्ति का क्षुद्र प्रयास है ।


 शत-शत नमन हे  काशी !

 शत-शत नमन हे काशी !
 भैरव की कृपा से जहां रहा मेरा प्रवास,
 संकट मोचन के पास
 हुआ मेरे भौतिक,दैविक कष्टों का नाश ,
 उत्तरवाहिनी होती यंहा गंगा  
 उतर जटाओं से शिव की
 चरण-प्रक्षालन करती, उनके बहती आसपास,
 मां अम्बा की शक्ति से
 पायी मैने नित नई आस्था और विश्वास,
 पाप और पुण्य के चक्र में
 भटकता जगत पाता यहां विराम
 यही पर रहकर मिले
 कबीर और तुलसी को अपने-अपने राम ,
 प्रभु को मान कर चंदन
 बनाकर ख़ुद को पानी, यहीं किया रैदास ने वंदन
 अब चाह नही मोक्ष किसी की
 मैने शिव को पाया हैं
 नही बैठा वह किसी मंदिर में
 वह तो घट-घट में समाया हैं
 करू क्या मैं वर्णन महिमा का तेरी
 रूंध रहा हैं कण्ठ मेरा, शब्द नही हैं पास,
 शत-शत नमन हे काशी !
 भैरव की कृपा से जहां रहा मेरा प्रवास ।

 17-7-2012

3 comments:

  1. bahut khoob upadhyaie! mera bhj shiv=nagri kashi ko shat-shat naman.

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  2. aapke is nmn me mera bhi sht sht prnaam !
    Pranava Bharti

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    1. काशी को नमन उस परम सत्ता को नमन करना है जो चराचर जगत को संचालित करता हैं ,...ॐ नमः शिवाय

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