Wednesday 2 October 2013

नया फलसफा
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मैं-----------
निकल पड़ा
अपने सपनों के पीछे
कुछ देर बाद कांटे चुभे ,कंकड़ घुसे
किसी ने कहा 'भाई नंगे पांव हो '
मैंने जूती पहन ली
फिर भी लक्ष्य से पूर्व थक गया
एक ज्ञानी ने समझाया
कि पैदल चलकर कोई लक्ष्य पाया हैं ?
द्रुत गति का वाहन लो
मैंने कार पकड़ ली
देखा तो ट्रेफिक जाम
कोई हिल ही नहीं रहा हैं
मेरी साँस तेजी से चलने लगी
कैसे पहुंचूंगा ?
देखा आगे किसी बीच से गाड़ी निकाली
ट्रैफिक कांस्टेबल ने तुरंत किताब निकाली
भाई साहेब ने सौ का नोट हाथ में थमाया
और अपने गाड़ी को आगे बढाया
गाड़ी हुई फुर्र
कांस्टेबल हुआ प्रसन्न

किसी ने कहा
मार्ग यही हैं यहां

एक दिन मैं
लाइफ के सीईओ से पूछने गया
कि अपने प्रेजेंटेशन में कुछ और रास्ता बताया
वो बोला 'बेटा' थ्योरी और प्रैक्टिकल में फर्क हैं
जिसे हम क्लास में नहीं पढ़ाते
हमें भी लाइफ मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट में यही पढाया गया था
हम स्टूडेंट्स को गलत नहीं पढ़ाते
वर्ना यूगीसी हमारी मान्यता रद्द कर देगा
वैसे यह सब आपकी मार्केटिंग स्किल
पर डिपेंड करता हैं
जिसकी हम पूरी तालीम
केस स्टडी कराके देते हैं
मैं सीईओ के जवाब से खुश नहीं था
अब मार्केटिंग स्किल से होगा
सोचा कि मार्ग कुछ और बताते हैं
रास्ता कुछ और देखते हैं

अगले दिन मेरी कार फिर ट्रैफिक में जाम
दिमाग की बत्ती जली
मैंने झट से एक पत्ता निकाला
और रॉंग साइड से भागा
अब मैं आश्वस्त था
मेरे सपनों को पंख लग गए थे
शायद जिंदगी का
नया फलसफा मिल गया था।

रामकिशोर उपाध्याय 

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