Friday 24 January 2014

कविता 
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कविता ......
लिखना संयोग नहीं 
वियोग से उत्पन्न हुई 
किसी ने कहा कविता ..........
नभ से उतरती 
सितारों में विचरती 
चाँद को छूकर 
सूरज से तपकर
पेड़ों के पत्तों से छनकर
वर्षा में भीगकर
भावों की धरती पर
प्रस्फुटित होती रही कविता .......
किसी ने कहा जब तक जरुरी न हो
न लिखो कविता ........
सृजन का एक स्वाभाविक दबाव हो
तभी लिखो कविता .....
मैं समझता हूँ दर्द का दबाव न हो
तबतक न लिखो कविता ......
यही सोचकर नहीं लिखता
कविता .........

रामकिशोर उपाध्याय

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