*
सड़क की धूल से
मुझे एलर्जी है
कार से धुआँ उडाना
मेरी मर्जी है
तुम्हारे जुल्म पर आवाज़ उठाना
मेरा धर्म है
मगर मेरे विरुद्ध बोलना
सरासर जुर्म है
मैं तो झूठ के
नक्कारखाने की
गूँगी तूती हूँ...निरुत्तर
बजती भी रहती हूँ
मगर
अंतर में निरंतर
*
रामकिशोर उपाध्याय
Monday 27 February 2017
अंतर में निरंतर
Tuesday 7 February 2017
मधुमक्खी का डंक ----------------------
पानी अब पी रहे एक घाट पर
क्या शेर क्या बिल्ली
दुम दबाकर निकल पड़े
वोट मांगने अब सारे शेखचिल्ली
झुक- झुक कर रहे
बड़े अदब से सबको सलाम -नमस्ते
कुछ मुफ्त में निपट जायेंगे
कुछ पा जायेंगे राजमहल के रस्ते
पांच साल फिर न मिलेंगे
हो गए जो राजा या वो रह गए जो रंक
वोट ओढ़कर सहती रह जाएगी
जनता मधुमक्खी का डंक
*
रामकिशोर उपाध्याय
Subscribe to:
Posts (Atom)